स्लग–तहसील कार्यालय मारी बंगला देवरी में चल रही बाबुओं की लापरवाही,
नकल प्रतिवेदन की रसीद में लिख दी अवकाश की तारीख...
स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार
*दैनिक हिंदी वेब मीडिया (छ.ग.)*
देवरी–बालोद 15/05/2023
स्थान– मारी बंगला देवरी
रिपोर्ट–डीकेश साहू
आवेदक लगा रहे हैं तहसील के चक्कर,
मामला-मार्री बंगला देवरी का है जहां आवेदक भिरेंद्र साहू पिता अंजोर दास निवासी ग्राम जेवरतला ने दिनाक 26.04.2023 को नामांतरण आदेष की नकल प्रतिवेदन प्रस्तूत किया था । जिसमें प्रतिलिपि प्रदान करने की तारीख रसीद में लापरवाही पूर्वक 14.05.2023 का दिनांक अंकित कर प्रतिलिपि आवेदक के हाथों सौंप दिया जो सरकारी कार्यालय की अवकाष की तारीख और रविवार का दिन है।ंआवेदक उक्त दिनांक के संबंध में कार्यालय तहसीलदार से जानकारी लेना चाहा ता े नकल शाखा की कर्मचारी उइके की गैर मौजूदगी के चलते मारगेंद बाबू को आदेश किया गया जिसके द्वारा आदेष प्रतिलिपि मौजूद नहीं होने की बात करते हुए आवेदक को पटवारी के पास जाने की बात कही ।ंतत्पष्चात आवेदक,पुनः तहसीलदार को पूरी बात बताया, जिसके बाद सेलफोन से ही नकल षाखा के बाबू, से बातचीत मोबईल से बात हुई, थी आधे घंटे में पहुंचने की बात कही गई थी लेकिन देखते देखते शाम हो गया पर नकल शाखा के बाबू का दर्शन नहीं हुआ। *आवेदक बताए गये तारीक पर तहसील कार्यालय के चक्कर लगाते रहा।अंत में रविवार जो बताई गई तारीख थी के बित जाने पर गुस्साकर पूछा तो आज तहसील कार्यालय नही पहुंचने की बात कही ा अंततः निराषा के चलते एक और बार तहसीलदार के समक्ष इस लापरवाही की बात, पेश की जिस पर लगातार नकल शाखा के बाबू की लापरवाही के चलते प्रतिवेदन लौटा दिया जा रहा था। तत्पष्चात तहसीलदार आषीश देहारी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए ढाढस बंधाया और आवेदक को अगले सोमवार मगलवार को कार्यालय आकर प्रतिवेदन प्रतिलिपि लेने की बात की गई है। अतः उक्त मामले पर गौर किया जाए तो कर्मचारियों की लापरवाही सामने आ रही है।जोकि सरकारी कर्मचारीयों की छोटी सी लापरवाही किसी को जमीन से बेदखल कर देता हैै तो किसी कोो, जिंदगी भर कोर्ट के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देता है । डीकेष साहू डूमरघुंचा निवासी ने बताया कि इसी तहसील कार्यालय में ग्राम डुमरघुंचा निवासी सेवाराम यादव, खेमिन बाई साहू का मामला भी आया था जिस पर आजतक न्याय नहीं मिल पाया है, और न्याय के लिए का कोर्ट के चक्कर लगाने पर मजबूर हो चुके हैं जोकी मामला 2008 में भूमिहीन परिवारों को आबंटित किया गया भूमि की अधिकार के लिए अभी भी कोर्ट में लंबित है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें