फैसले समय पर छोड़ दिया मैने…...पर ये भी है देर से मिला हुआ न्याय तो अन्याय से कम नहीं होता। 👇ये कुछ पुराने यादें
🤟 ये मेरे कुछ पुराने यादगार पल थे जो जिंदगी को नए मोड़ पर ले आए ... |
जानता हूं मैं भी एक छत्तीसगढ़ का ही निवासी हूं, लेकिन कुछ लोगों की वजह से मुझे भी शोषण का शिकार होना पड़ रहा है, आज भी छत्तीसगढ़ के भोले भाले लोगों का शोषण हमारे ही बीच उपस्थित समाज की कुछ उच्च वर्ग के प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा किया जाता है जिनके खिलाफ बोलना अपने जीवन का एवं बचे हुए खुशियों को आग में झोंकने के समान है भले ही कितने ही आप अच्छे क्यों ना हो लेकिन यह लोग राजनीतिक रोटियां सेकने में पीछे नहीं हटेंगे और आपस में फूट डालकर शोषण करते रहेंगे इन लोगों का एक ही मकसद है फूट डालो और शासन करो मानता हूं धर्मांतरण जैसे कई मुद्दे हैं जिनके कारण आज छत्तीसगढ़ एवं लोगों के साथ अनाचार शोषण होता रहा है। जिनकी एक नहीं कई कारण है हर विभाग में करप्शन जैसे बुराई आज भी समाज में सनलिप्त है मैंने देखा है, एक आरटीआई क्या लगा दिया पंचायत में पीएम आवास योजना के अंतर्गत हुए गड़बड़ी की जांच के लिए पूरे दंगाई एक होकर मेरे ही पीछे पड़ गए और समाज की आड़ में छुपकर राजनीति करने लग गए। मेरे घर से मटेरियल जो कि बिना बताए उठाकर ले गए, इनमें मैटेरियल ले जाने वाले लोग हमारे छत्तीसगढ़िया ही हैं तो क्या यह लोग गलत नहीं हो सकते। क्या मैं अगर किसी के साथ गलत करूं तो मुझ पर कोई कार्यवाही नहीं होगी...?क्या मेरे लिए कोई छत्तीसगढ़ में कोई कानून नहीं बना है या मेरे ऊपर कोई अप्लाई नहीं होगा मैं छत्तीसगढ़ का हूं तो क्या मैं हर जगह गलत करता रहूंगा, मुझे बता दें सरकार कि छत्तीसगढ़ वालों के लिए कोई कानून बना है या नहीं..?मैं भी आज से वही करूं क्या जो लोगों को असंवैधानिक, अवांछित, अनचाहा असामाजिक तो क्या मुझ पर कोई कारवाई ना करेगी प्रशासन..?
हर इंसान के अंदर एक नया जुनून रहता है एक उम्र रहता है कुछ करने का उसके बाद इंसान थक जाता है ठीक इसी समय ही अगर गलत राह में चला जाए तो जिंदगी ही बिगड़ जाती है, और अगर सही रास्ते मिल गए तो इंसान को आगे बढ़न से कोई रोक नहीं सकता, ठीक इसी समय मुझे और मेरे जैसे न जाने कितने लोगों को तबाह कर चुके हैं ये दंगाई लोग लेकिन लगता है मैंने अपने हक के लिए आवाज उठाकर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मार लिया है ...?
"""...हाव गा में भी तो हरव छत्तीसगढिया..."""
कुछ लोग तो समाज में ऐसे भी हैं जो छत्तीसगढ़ के होकर भी अपने ही लोगों का शोषण कर रहे हैं निम्न वर्ग के लोगों का जैसे, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का शोषण कर रहे हैं उनकी जमीन पर कब्जा करते आ रहे हैं, खेती भूमि को बेचने के लिए मजबूर करते रहे हैं तो क्या यह समाज में सही है, जरूरी नहीं कि हर बार गलती बाहर वालों की ही हो बेशक कुछ अपने ही शामिल है।
और कुछ बातें ये भी की कुछ लोग जो आज भी छत्तीसगढ़ में रहकर छत्तीसगढ़ के विकास के बारे में सोचते हैं, हो सकता है दूसरे धर्म के भी हो सकते हैं गलत और सही का फैसला यह परिस्थिति देखने से समझ आएगा, की क्या है कैसा है ।
हां मुझे मालूम है की मैं भी छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही हूं लेकिन सभी बाहरी लोगों के खिलाफ बोलना भी सही नहीं हैं।
जिनकी वजह से हमारे छत्तीसगढ़ क्रांति सेना आज क्रांतिकारी के रूप में काम करने पर मजबूर हुई है, शायद उनमें सभी लोगों की गलतियां नहीं हो सकती, हां कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने ही समाज के अंदर छुपे हुए हैं जिनकी वजह से समाज आज बदनामी झेल रहा है, जिनमें उन्हीं कुछ लोगों की वजह से हमारा पूरा छत्तीसगढ़ बदनाम हो चुका है, क्रांति सेना की आड़ में कुछ लोग छुपे हुए हैं और समाज में गंदगी फैलाने का काम कर रहे हैं, जिसके शोषण का शिकार शायद यूं कहूं तो मैं भी हूं क्या इन लोगों को समाज में अलग पहचान दिया जा सकता है,और अलग किया जा सकता है अगर हां तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है... छत्तीसगढ़ क्रांति सेना एवम अन्य संगठन से जुड़कर रहने में लेकिन अगर समाज में वही रूढ़िवादी परंपरा आज भी बरकरार रहता है तो मुझे अकेले रहना मंजूर है साहिब,समाज के मुख्या ही अगर भ्रष्ट हों तो मेरे से नहीं देखा जाता ये अन्याय अकेले ही ठीक हूं साहब।सर्व समाज में जुड़कर रहने में और इनके साथ कार्य करने में। और इनका पहचान नहीं किया जा सकता तो मुझे सामाजिक बहिष्कार मंजूर है साहिब।
अकेले रहकर जीवन गुजारने में मुझे कोई दिक्कत नहीं लेकिन फिर भी लोगों को लगता है कि यह अकड़ रहा है तो मैं बता दूं मैं अकड़ नहीं बल्कि अकेलेपन ही मुझे भा गया है। लोगों के बीच रहकर मैने देखा है जरूरत पड़ने तक उसे करेंगे फिर समाज से बहिष्कृत कर देंगे नहीं तो समाज के नाम से फिर से छोटी गलतियों पर दंड की मांग करेंगे,
ये सब नहीं होगा मुझसे,न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए, चाहे गरीब हो या अमीर उस पर नजर अंदाज नहीं होने चाहिए।
मेरा एक ही सवाल है क्या कोई समाज में अभी तक किसी अमीर लोगों का घर किसी ने तोड़ा है धर्मांतरण के मामले में...नहीं टूटता है साहब धर्मांतरण वाले मामले में जितने भी कांड हुए हैं,
दंगे हुए हैं,उसमें नुकसान सिर्फ निम्न वर्ग के लोगों का ही हुआ है घर टूटा है तो अपने ही लोगों का वह भी किसी गरीब मजदूर, असहाय पिछड़े लोगों का।
तो इसका मुख्य मनसा क्या है दंगे को बढ़ावा देना, धार्मिक हिंसा फैलाना,जातिभेद,क्षेत्रीवाद, करके समाज को तोड़ना... क्या यही है इनका मनसा, मुख्य उद्देश्य इनका क्या है, मेरे आजतक समझ ही नहीं आया सामाजिक कुरीतियों का हस्तांतरण करना, ये जब तक बंद नहीं हो जाएगा मुझे सामाजिक बहिष्कार मंजूर है। गांव और समाज से क्योंकि लोगों के साथ मिलकर रहकर सिर्फ बदनामियां,बुराइयां,और शोषण ही होता रहा है, और आज तक करते आए हैं मानता हूं अलग ही हूं दुनिया से पर खुश हूं...!
लेकिन बात वहीं की वहीं अटकी हुई है...अबतक ये हुआ की गांव में कोई खास परिवर्तन आया ही नहीं जबकि , गांव के विचार आज भी वहीं के वहीं लटके हुए हैं...और अच्छा भी है शांत अपने में मस्त खुश हूं मैं....!
उस समय मुझे ज्यादा ज्ञान नहीं था लेकिन वास्तविकता से रूबरू था, ऐसा लगता है कि सिर्फ मेरे पीछे राजनीति करके अपनी जेब भर रहे थे, इसलिए मुझे इन लोगों से दूर ही रह कर जीवन गुजारना अच्छा लगता है जरूरी नहीं कि हर इंसान जबरदस्ती समाज में जुड़ कर रहे या किसी के दबाव में आकर समाज में जुड़े रहे। समाज का मतलब है आपस में जुड़ कर रहना एवं निम्न वर्ग के लोगों का सहयोग करना निम्न वर्ग के लोगों को सही दिशा देना। ताकि उपर उठ सकें। समाज का शाब्दिक अर्थ एक टीचर ने प्यार से समझाया था मुझे – जिसमे समाया जा सके समाज है, समुद्र से भी गहरा... जिसकी कोई सीमा नहीं जिसका कोई माप नहीं,समाज बहिष्कार करने के लिए नहीं होता साहिब!
Past गर ऐसा था तो.... |
समाज के ही कुछ लोग आपस में भेदभाव कर समाज को गलत दिशा में ले जाते हैं समाज के बगैर लोगों का जीना व्यर्थ है मानता हूं, लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण ऐसा लगता है कि समाज में रहना मूर्खता है अभिशाप है, जाति और वर्ग के हिसाब से समाज के प्रमुख और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के द्वारा भेदभाव किया जाए तो इसका दुष्परिणाम भी समाज के ही आने वाले भविष्य पर पड़ता है जहां तक मेरा मानना है आज भी हमारे आस पास के लोगों में से कुछ लोग बाहरी व्यक्ति के संपर्क में हैं। जिसके कारण आज भी कोई सही न्याय नहीं मिल पा रहा लोगों को कुछ भू माफियाओं के कारण लोगों को शोषण का शिकार होना पड़ा है।ये भूमाफिया इतने प्यार से जमीन की सौदेबाजी करती है की तुम्हें समझ भी नहीं आएगा और न जाने कब मजबूर कर देगा तुम्हें जमीन को बेचवाने के लिए,
ये वही दंगाई है जो लोगों के सामने कुछ और वा अंदर से कुछ और नजर आते हैं। दिखाने के दांत कुछ और चबाने के कुछ और ही हैं।
ये इतने मिठबोले हैं की इन्हे कुछ नहीं दिखता किसी को भी अपने शिकार बना लेते हैं।इनको परिवार से मतलब नहीं सिर्फ पैसे और प्रॉपर्टी से मतलब रहता है।
Future कुछ ऐसा होगा |
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