सामाजिक बहिष्कार पर कानून बनने से समाज के दल्लों को दिक्कत क्यों..?
*छत्तीसगढ़ में सामाजिक बहिष्कार के बाद धर्मांतरण*
छत्तीसगढ़ के विकास पर चर्चा के लिए गंभीर विषय
धर्मांतरण और सामाजिक बहिष्कार
संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद जैसे शब्द हटाने से बेहतर है सामाजिक बहिष्कार पर चिंता किए जाएं और सामाजिक बहिष्कार पर कानून बनाकर लागू किए जाएं।
किसी परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने से पहले यह वास्तविकता जांच लें कि सामाजिक बहिष्कार क्यों किया गया है..? और कहां तक सही है।क्या सामाजिक बहिष्कार करने के पीछे समाज की आड़ में राजनीति फल फूल रही है..?
राजनीतिक के आड़ में समाज को दबाओ पूर्वक तोड़ने का षडयंत्र तो नहीं..?
धर्मांतरण के भी कई मामलों में देखा गया हैं कि राजनीतिक दलाल समाज में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए,या फिर किसी गरीब परिवार की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए किसी एकात सदस्य को जमकर सपोर्ट कर देते है,और उनके कंधे पर बंदूक रखकर समाज के कमजोर लोगों पर गोली चलाते हैं। किसी सपोर्टेड सदस्य की आड़ में समाज के गरीबों की जमीन,मकान,और निजी संपत्ति पर भी कब्जा करने के मकसद से उस गरीब परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं।
ताकि बहिष्कृत होने के बाद उस परिवार की सामाजिक बहिष्कार की आड़ में दबाओ पूर्वक उनके प्रॉपर्टी पर कब्जा किया जा सके।आपसी दुश्मनी के मसले निपटाए जा सकें?
क्योंकि किसी परिवार की सामाजिक बहिष्कार करने के बाद गांव और समाज के लोगों पर यह नियम बना दिया जाता है कि
👉बहिष्कृत परिवार से कोई बात नहीं करेगा।
👉बहिष्कृत परिवार से किसी प्रकार का बेटी रोटी नहीं रखेगा।
👉किसी प्रकार की कोई लेन देन नहीं करना है।*
👉किसी प्रकार की कोई काम काज में नहीं बुलाना है।
👉किसी को बहिष्कृत परिवार से कोई लेन देन रखना है तो उस परिवार को भी समाज से बहिष्कृत या समाज में आर्थिक दंड लिया जाएगा।
👉बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा।नलों में पानी नहीं पहुंचेगा।खेत खार में किसी प्रकार की सहयोग नहीं मिलेगा।*
👉और तो और बहिष्कृत परिवार को इतना प्रताड़ित किया जाता है कि कई बार परिवार के सदस्य प्रताड़ना बर्दास्त नहीं कर पाते और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
👉कई धर्मांतरण के मामलों में सामने यह आया है कि बहिष्कृत परिवारों पर समाज के लोग अनैतिक तरीके से आर्थिक दंड लिया जाता है,और उस दंडित राशि को अपने सामाजिक सदस्यों के द्वारा आपस में बंदरबांट कर दिया जाता है।जिसका कोई हिसाब किताब ही नहीं रहता।कई बार ऐसा हॉट है कि वसूली किए राशि को चोरी हो गया कहकर दंडित राशि को गबन कर दिया जाता है।कई जगहों पर तो हिसाब किताब की डायरी नहीं मिल रहा है कहकर राशि का भी गबन कर दिया जाता है।
ऐसे में अगर कोई एकात परिवार दंड में वसूले गए राशि का हिसाब पूछ ले तो उसे भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
क्या उपरोक्त लिखी बातें सही नहीं है।ऐसे मैने कई ग्रामों में इस प्रकार के कहानी सुनी है।क्या ये सही है समाज में,अगर आप लोगों को सही लगता है तो कोई बात नहीं पर मुझे गलत लगता है इसलिए मैं इसका विरोध खुलेआम करता हूं।
अतः सरकार समाज और संविधान के रखवालों से मेरा विनम्र आग्रह पूर्वक निवेदन है कि सामाजिक बहिष्कार पर भी विशेष कानून बनाया जाए जो समाज और मानव कल्याण के लिए हो।अन्यथा सामाजिक बहिष्कार के बाद कई परिवार धर्मांतरण जैसे कदम उठाते हैं और फिर धर्म संगठन के लोग आपस में लड़कर एक दूसरे का गला काटने पर उतारू हो जाते हैं।
आपको नहीं मालूम तो मैं बता दूं कि सामाजिक बहिष्कार पर कानून बनाने की याचिका उच्च न्यायायल में लगाई गई थी।जिसके खिलाफ समाज प्रमुखों एवं समाज चिंतकों द्वारा खारिज करवाने की याचिका लगवाकर, सामाजिक बहिष्कार पर बनने वाले कानून पर रोक लगा दी थी।
अतः अगर आप सभी समाज और देशप्रेमियों को लगता है कि सामाजिक बहिष्कार पर कानून बनाकर शीघ्र लागू करना चाहिए तो समर्थन जरूर देवें,अपनी राय जरूर भेजें।
*धन्यवाद*
✍️...डीकेश साहू
मोबाइल नंबर– 8103541559*
(बालोद–खैरागढ़) छत्तीसगढ़