बालोद जिले के पत्रकारों की मनमानी वसूली का वीडियो, आए दिन देखने को मिल रहा
ऐसे पत्रकारों से सावधान रहें जिनका कोई वजूद ही नहीं
दिनांक 16/05/2022
1) बालोद–गुंदरदेही से खबर निकल कर आ रही है गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के मुंदेरा ग्राम पंचायत में सरपंच से जानकारी लेकर खबर न दिखाने एवम खबरों को छुपाने के लिए अथवा किसी मीडिया में प्रकाशन न करने के लिए, पैसा वसूल करने वाले, खुद को पत्रकार संघ का अध्यक्ष बताकर कई बार 5000 से 10000 रुपए की वसूली करने वाले पत्रकार के खिलाफ सरपंच ने सरपंच संघ के साथ मिलकर विधायक कुंवर सिंह निषाद, वा कलेक्टर बालोद, एसपी के समक्ष आवेदन सौपा है।
ज्ञात हो की ऐसे ही कुछ पत्रकारों की वजह से आज सच को लोगों तक पहुंचने में कई वर्ष लग जाते हैं। उदाहरण के लिए कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों के उपर शोषण को कई वर्षों बाद मूवी के माध्यम से अभी लाया गया।
वास्तविकता जब कुछ और है तो फिर उसे पहले क्यों नहीं दिखाया जाता या बताया जाता.?
ये भी एक सवाल उठता है। जब सरपंच या सचिव अपने कार्य ईमानदारी के साथ कर रहे हैं तो पैसे देने की जरूरत ही क्या थी। ऐसा तो नहीं है की पंचायत के कार्यों में गड़बड़ी करने के बदले समाचार प्रकाशन ना करें,इश्लिये दिए जा रहे थे राशि...
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2) बालोद–डौंडी क्षेत्र से एक ग्राम सुर डोंगर से मामला सामने आया था। जिस पर व्यक्ति बोल रहे थे की दैनिक भास्कर में बिना कुछ जाने मेरे खिलाफ समाचार प्रकाशन कर दिया गया है।व्यक्ति ने भास्कर के प्रकाशन के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।थाने के सामने अपनी परिवार के साथ धरना में बैठे थे। जातिगत मोर्चा निकालकर थाने के सामने धरना पर बैठना गणेशराम को महंगा पड़ गया।
दूसरे दिन उस व्यक्ति गणेशराम मोची के साथ बुरी तरह मारपीट का वीडियो सामने आया। साथ ही उसके मकान पर तोड़फोड़कर उसके परिवार वालों के साथ जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे, घर एवम गांव से बेदखल कर दिया गया था।
इस वीडियो में वास्तविकता क्या थी।यह बताने की जरूरत ही नहीं है। वीडियो देखने से ही समझ आ जाता है।
3)बालोद–भरनाभाट पंचायत से पीएम आवास में गड़बड़ी के मामले में एक समाचार आया उस पर गलती एवम गड़बड़ी पूर्व सरपंच सचिव के द्वारा किया गया था। लेकिन समाचार प्रकाशन में केवल सचिव की गलती बताकर उनका तबादला तो हो ही गया था,लेकिन उसके खिलाफ कारवाही करने की बात कहकर मामले को खतम कर दिया गया,जिसकी जानकारी RTI से हुई। जिसकी शिकायत जनपद सीईओ, जिला पंचायत सीईओ से की गई लेकिन यह बोलकर मामले को खतम कर दिया गया की जब भी आवास की नई स्कीम आयेगी। जो हितग्राही का नाम छूट चुका है। उनको अवगत करा दिया जाएगा।
अब बात इतने में ही खतम नहीं हुआ इसके बाद भी हितग्राही का नाम जो गड़बड़ी हुआ था।
सरकार ने गरीबों को जो भूमिहीन गरीब परिवार हैं उनको पट्टा वितरण किया गया था। उस पर हितग्राही के द्वारा स्वम के खर्चे से मकान निर्माण के लिए मैटेरियल की व्यवस्था की जा चुकी थी।उसे भी कुछ लोगों के द्वारा चोरी कर लिया गया था।
इसका समाचार प्रकाशन के लिए अबतक कोई संस्था सपोर्ट नहीं किए।और ना ही अबतक इसकी fir से कोई कारवाई की गई बल्कि इसके विपरित पंचायत में आरटीआई लगाकर प्रकाशन करने वाले हरिभूमि संस्था में कार्य करने वाले व्यक्ति को जान से मार मारने की धमकी दिया गया। ये तो रहा सन 2021–2022 का मामला।
पंचायत में हुई गड़बड़ी का खुलासा इस पीडीएफ फाइल में साफ देखा जा सकता है। 👇
इन मामलों में कहीं न कहीं देखा जाए तो भ्रष्टाचार का ही मामला छुपा हुआ है जिसे कुछ पत्रकार खुलकर मामले का खुलासा करते हैं। वही बता दूं कुछ पत्रकार वसूली करने के लिए ही, सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं। ऐसे ही मामले का खुलासा अब पंचायतों में होने लगा है।पंचायतों में पूछताछ से पता चला की बहुत से पत्रकारों का आना जाना जाना लगा रहता है।जिनमें राजनादगांव के भी पत्रकार शामिल हैं।सबको कुछ न कुछ राशि देकर विदा करना पड़ता है।
कुछ पंचायत सचिवों का कहना है की RTI का कागज लेकर आते हैं और बहुत सारी जानकारियां मांगते हैं उनमें हमारा ज्यादा समय वेस्ट हो जाता है जिनसे बचने के लिए उनको कुछ रुपए देकर उनसे अपना समय बचाते हैं।
लेकिन सच्चाई कुछ और हैं,पत्रकारों को जानकारी नहीं देने के बदले कार्यों में गड़बड़ी करने का मौका मिलता है।जिस वजह से आरटीआई के जवाब के बदले राशि देकर विदा करते हैं।
ताकि पंचायत स्तर पर हो रहे कार्यों में राशियों का गड़बड़ी कर सकें।
ऐसे पत्रकारों का जिले में रहना या किसी भी मीडिया संस्थानों में कार्य करना देश हित के लिए एवम किसी भी राज्य जिले वा समाज के विकाश के लिए बाधक हैं।भ्रष्टाचार को उजाकार करने के बजाए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना।ग्राम पंचायतों अथवा अन्य सरकारी विभागों से पैसे की उगाही करना निश्चित ही समाज के लिए खतरा है।
कुछ पत्रकारों की वजह से बड़े से बड़े भ्रष्टाचार का हौसला बुलंद रहता है।और बेखौफ घूमते रहते हैं। बेखौफ होकर मनमानी करते हैं।जिसका खामियाजा एक आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है,तथा जो निस्वार्थ होकर पत्रकरिता करते हैं,उनका काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है,कई दफा तो जान माल का भी नुकसान झेलना पड़ जाता है,पत्रकारिता कानून लागू करने की घोषणा सही तो है पर इसका मुनाफा सही लोगों तक पहुंचे तब ठीक है अन्यथा ऐसे ही पत्रकारों जो उपर वर्णित है ऐसे लोगों तक पहुंच जाए तो भ्रष्टाचार और उगाही का मामला कभी खत्म नहीं होगा।और दंगाइयों के हौसले बुलंद होते रहेंगे।
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