छत्तीसगढ़ में डायल 112 एमरजेंसी सेवा में लगी गाड़ियों को खुद इमरजेंसी सेवा की जरूरत पड़ रही है। एक तरफ एमरजेंसी में जाते समय किसी गाड़ी का पहिया निकल जा रहा, कोई गाड़ी रात में पेट्रोलिंग के समय ही बीच रास्ते में बंद हो जा रही है।दूसरी तरफ डायल 112 एमरजेंसी सेवा के लिए 40 करोड़ रूपये में खरीदी गई 400 बोलेरो गाड़ियाँ 2 साल से अमलेश्वर स्थित सीएएफ के तीसरी बटालियन के मैदान में खड़े-खड़े कबाड़ हो रही है। गाड़ियों में धूल की मोटी परत जम चुकी है,उन गाड़ियों की सीट वायरिंग चूहों द्वारा खराब किये जा रहे हैं। जनता के टैक्स के 40 करोड़ रूपये बस खड़ी-खड़े ही बर्बाद हो रही है। एक समय ऐसा आएगा जब एक भी किलोमीटर नहीं चले इन खड़ी गाड़ियों को चालू करने में ही करोड़ों रूपये फिर से खर्च करने पड़ेंगे। अभी जो डायल 112 एमरजेंसी सेवा लगी गाड़ियों का लाइफ 2 लाख किलोमीटर की है, पर कई गाड़ियाँ 3 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं तो कई गाड़ियाँ 4 लाख किलोमीटर चल चुकी है। जो अपनी लाइफ सायकल को पार कर चुकी हैं। 112 एमरजेंसी सेवा भी भगवान भरोसे चल रही है। मुझे समझ में नहीं आता कि डायल 112 एमरजेंसी सेवा के लिए सरकार गंभीर क्यों नहीं है ?
सोमवार, जुलाई 07, 2025
X पर एक सदस्य ने सरकार से सवाल करते हुए लिखा,सरकार 112 की सेवा के लिए गंभीर क्यों नहीं..?
X पर वॉयस ऑफ छत्तीसगढ़
नाम के x सदस्य ने सरकार से सवाल करते हुए लिखा,
सरकार 112 की सेवा के लिए गंभीर क्यों नहीं..?
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*दैनिक हिंदी वेब मीडिया (छ.ग.)*
07/07/2025
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