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मंगलवार, फ़रवरी 14, 2023

चोर को मिला बागडोर




चोर के हाथ चाबी सौंप दिया जाए तो,
शायद चोरी होना बंद हो जाये




स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार
*दैनिक हिंदी वेब मीडिया (छ.ग.)*
बालोद 14/02/2023











देवरी/डूमरघुंचा मामला देवरी थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम डूमरघूंचा का है जन्हा कुछ ऐसे परिवार भी हैं जिसे सामाजिक बहिस्कार का दंश झेलने की लत ऐसे लगी की अपने समाज में मिलकर रहना रास नहीं आ रहा समाज वा गांव से मिले प्रताड़ना के बाद से अब धर्मांतरण करने को ही अपना सही जीवन का सार समझ लिए हैं।

सामाजिक कुरीतियों से तंग आकर दूसरे धर्म जैसे ईशाई धर्म में शामिल होना सही समझा, वैसे आजकल धर्मांतरण के मामले में छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में भी इसका बड़ते कदम देखने को मिल रहा है।

कुछ सामाजिक दरिंदो ने अपना दबदबा बनाने के लिए सामाजिक  दंगाई संगठनों वा राजनीतिक पार्टियों से जुड़कर गांव क्षेत्रों में गरीब तबके के परिवारों के साथ मारपीट कर हिंदू परिवार को ईशायी बताकर उनकी जमीनों को हथियाने के लिए जबरन सामाजिक बहिष्कार का आरोप भी लगाने का मामला सामने आया है।

पीड़ित परिवार ऐसे में जब न्याय नहीं मिल पाया तो न चाहते हुए भी इशायी सोसाइटी में जुड़ना ही सही समझा,दंगाई चाहते थे की ईडब्ल्यूएस परिवार को डरा धमका कर उनसे जमीन छीन लेंगे,प्लानिंग तो पूरी तरह से तैयार किया जा चुका था लेकिन इसी बीच लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता मिलने के बाद इस अनैतिक असंवैधानिक कृत्य की कानूनी कार्रवाई के दौरान अब दंगाई संगठनों को भी थोड़ी समझ आ गई।

नारायणपुर में हुए धर्मांतरण को लेकर दंगे में हुए बवाल के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के से धर्मांतरण मामले में अब छत्तीसगढ़ में हो रहे विरोधों वा दंगों पर भी कमी आई है।

डूमरघुंचा में धर्मांतरण की प्रक्रिया सन 2008 से चल रहा था,इसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ ग्राम के मुख्या भी शामिल हैं।

जो गांव को अंधकार में रखकर अपना दबादब और अंधविश्वास को बढ़ावा देने का काम कर रहे थे।युवाओं को सामाजिक बहिस्कार का डर बताकर अपना दबदबा बनाए रखने की मंशा से धर्मांतरण वा सामाजिक बहिस्कार का नाटक काफी समय से चल रहा था।इससे कई परिवारों की जीवन यापन प्रभावित हुआ है। इन्ही सामाजिक कुरीतियों के चलते कुछ परिवारों ने तो गांव छोड़कर अन्य राज्यों वा शहरों में अपना निवास बना लिया है।

यह एक बालोद जिला का ऐसा गांव है जहां न तो अबतक राजस्व अधिकारी के द्वारा विधिवत न्यायिक जांच हुआ और न ही किसी प्रकार की आरोपियों पर कारवाई,ज्ञात हो की आबादी भूमि जिन परिवारों को दिया जाता है उन परिवारों को 900 sf भूमि ग्राम पंचायत के द्वारा भूमि को चिन्हांकित कर पट्टा प्रदान किया जाता है।लेकिन यहां ज्यादातर ग्रामीण 900sf. भूमि के साथ साथ ज्यादा ही भूमि अवैध कब्जा किए हुए हैं। जिनके कारण अबतक विवाद की स्थिति बनती रहती है। लोग मारपीट पर उतर जाते हैं। ज्यादातर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा किया हुआ है। जिस वजह से सरकारी अफसर को भी करवाई करने में परेशानी और झूठी जानकारी मिलने की वजह से अबतक गांव का सीमांकन सही से नहीं हो पाया है।


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