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शनिवार, दिसंबर 11, 2021

सरकार के साथ–साथ प्रशासनिक अधिकारी ही नशाखोरी के जिम्मेदार

सरकार के साथ–साथ प्रशासनिक  अधिकारी ही नशाखोरी के जिम्मेदार



स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार–डौंडीलोहारा बालोद


     खुलेआम धड़ल्ले से बिक रही है अवैध शराब, ज्यादातर मामले में दलालों की प्रशासन से मिलीभगत के सामने आए हैं, बालोद डौंडीलोहारा क्षेत्र के अधिकतर मामलों में, खेरथा, खैरा, देवरी, कुंवागांव, खपरी, रानाखुज्जी, खामतराई, पिनकापार, डूमरर्घुंचा, गहिरानवागांव, में देशी प्लेन की दारू बेखौफ होकर दलालों के द्वारा रात के अंधेरे में पहुंचाने की बात सामने  आई है।शराब के साथ साथ जुहा सट्टा एवम गांजा तस्करी में बड़े से बड़े दलाल वा व्यापारी संलिप्त है।इसके प्रोटेक्शन के लिए बकायदा कमीशन दो मनमौजी करो का ऑफर प्रशासन के द्वारा मिलता है, अब इनको प्रशासन का खौफ क्यों नहीं इसके पीछे कारण कमीशन खोरी है। बकायदा हर महीने कमीशन प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है।बदले में खुलेआम जो करना है मनमौजी करो, केस का कोई खतरा नहीं। एक बड़ी बात यह भी है।मुझे भी यह ऑफर मिला था। "15000" दो मनमौजी करो।मेरी बदकिस्मती थी की मैने ऑफर ठुकरा दिया।जिसके बदले मुझे मेरी काफी परेशानी झेलना पड़ रहा मेरे घर से मैटेरियल चोरी कर लिया गया जिसका मेरे पास वीडियो हैं इसके बाद भी कोई कारवाई नहीं हुआ।अजीब लगता है ये जानकर की इतने बेकार लोगों के बीच में  अबतक में मैं घिरा हुआ हुआ हैं और जिंदा क्यों हूं...? हिम्मत ही नहीं होती मेरी की इन लोगों का दोबारा शक्ल भी देखने पड़ेंगे। सोचकर कलेजा कांप उठता है, की ये सारी भीड़ जो ईमानदारी का चोला पहन कर दिखावा करते हैं इनको शर्म क्यों नहीं आती जब अपने परिवार के बीच रहकर ये काम करते होंगे...? बताइए कहीं ऐसा हुआ है की कोई आत्महत्या करले और बिना जांच पड़ताल के ही मामला खत्म हो जाए...😭। किसी जिम्मेदार कर्मचारी के द्वारा इस प्रकार के कृत्य करने से पहले शर्म क्यों नहीं आता इनको ...? सोच कर हैरान हो जाता हूं..!  अबतक बता दूं अधिकारी इस कदर संलिप्त हो चुके हैं की कमीशन देने वालों को बेखौफ सपोर्ट मिलता है,  साथ ही मुझे कई प्रकार की रोजाना गाली और सोशल मीडिया के माध्यम से एनकाउंटर की धमकी भी मिली थी। पर मुझे ऐसे धमकी से फर्क नहीं पड़ता। पत्रकारिता चुनने से पहले हमने ये सब सोच समझकर कदम उठाया था।

 प्रशासनिक अधिकारी इस कृत्य में शामिल है जिसके चलते अबतक कोई करवाई नहीं हो पाता।

     बड़े–बड़े व्यापारी ऐसा कृत्य  करने में संलिप्त है। कई मामले देखने को मिल रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शराब बिक्री के मामले में ज्यादातर  थाने में कमीशनखोरी की बात सामने आ रही है। ऐसे ही नशा बिक्री के  मामले में गांजा तस्करों की सूचना भी सामने आई हैं, जिनमें तस्कर रात को तस्करी की घटना को अंजाम देते हैं। जिसे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में दलालों के माध्यम से नशेड़ियों तक पहुंचाया जाता है। शासन एक तरफ अवैध शराब  की बिक्री को लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है। इसके अनुसार प्रदेश में शराब बेचने वाली ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म किया गया और सरकार खुद आबकारी विभाग के जरिए शराब बेच रही है।यह कदम गांवों में उल्टी दिशा में चल रही है। हालात ऐसे हो गए है कि पहले के अपेक्षा अब गांवों में अवैध शराब अधिक बिक रही है।प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही नतीजा यह निकल रहा है, की शराब खोरी छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों में ऐसे लिप्त हो चुकी है की युवा पीढ़ी को खाना कम शराब ज्यादा चाहिए।नशे के आदि इंसान लत लगने के बाद कुछ भी कृत्य को बेखौफ होके अंजाम देते हैं। शराब सबको वही इसका दुष्प्रभाव छोटे बच्चों पर भी पड़ रहा है। छोटे अवयस्क बच्चे भी इसके आदि हो रहे हैं।  इसका मुख्य जिम्मेदार शासन और प्रशासन  दोनों है। कुछ रुपयों के कमीशन खोरी के चक्कर में नशाखोरी बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल रहा है।पुलिस प्रशासन भी इन दलालों और राजनीति के दबाव के चलते केवल कठपुतली जैसे नाच रही है। पुलिस भी मजबूर होकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।

 अभी दो दिन पहले डूमरर्घुंचा दिनांक  08/12/2021 की घटना सामने आया   पिता और पुत्र के बीच हुए बहस का शुरुवाती कारण शराब ही था। छोटा सा विवाद था धान को बेचकर शराब पीना एक व्यक्ति को उसके पिता से हमेशा के लिए दूर कर दिया। तनाव के चलते आत्महत्या कर ली अधेड़ व्यक्ति। कल का घटना तरोताजा उदाहरण है। 

      शराब पीने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया की पिता तनाव में आकर दूसरे दिन फांसी में झुलसा मिला। सरकार अपनी आर्थिक स्थिति सुधार तो रही है, लेकिन शराब के अवैध बिक्री एवं आसपास में बढ़ती अवैध नशाखोरी के चलते छत्तीसगढ़ की सामाजिक दशा अत्यंत दयनीय होते जा रही ही, कमीशनखोरी के कारण स्थिति अंधकारमय हो चुकी है, युवाओं की जिंदगी बद्तर होती जा रही है। प्रशासन को इस ओर सख्ती बरतने की जरूरत है कठोर कदम उठाने की जरूरत है। जिस तरह पुलिस प्रशासन कोरोना से बचने के लिए विशेष सख्ती बरती थी ठीक वैसे ही छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों में विशेष निगरानी टीम लगाकर शराब और गांजा तस्करों पर रोक लगाने की जरूरत है। 

   दूसरे की क्या बात करूं, इसी कमीशन खोरी के कारण मेरा बचपना भी ऐसे ही शराब के शौख में निकला है, मेरे ही साथ ऐसी घटना हो चुकी है शराब की लत तो नहीं, पर गांव का माहौल 8–10 साल बीत जाने के बाद भी दलालों और राजनीतिक भ्रष्टाचारों की वजह से आज भी कोई परिवर्तन नहीं आया है आज भी दल्ले खुलेआम धंधे कर रहे हैं।

      शौख और मजे के लिए पिया हुआ शराब गांव, समाज, और परिवार के बीच में तकरार पैदा करती है। हत्या, लूट, बलात्कार, चोरी गाली गलौज मारपीट जैसे शर्मनाक  कृत्य  करने में शराब और गांजा जैसे अन्य नाशपान है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने से पहले ही मैं स्वयं ऐसी निंदनीय कृत्य की घटना को अंजाम दे चुका हूं। जहां तक मेरा अनुभव वा मानना है की शराब के नशे में इंसान का दिमाग ज्यादा ही एक्टिव हो जाता है। और नशे के कारण इंसान के शरीर में एक्स्ट्रा एनर्जी आ जाता है।जिसके चलते खुद के शरीर पर काबू नहीं रहता। जिसके कारण इंसान ज्यादा नशे की हालत में ऐसे कृत्य कर देते हैं जो एक  साधारण व्यक्ति साधारण हालत में नहीं कर सकता। शराब के नशे में व्यक्ति के द्वारा ऐसे अवांछित कृत्य हो जाता है, जिसका अनुमान भी नहीं लगाया रहता। जिसके चलते कई बार अपने ही परिवार और समाज के बीच में शर्मिंदा होना पड़ता है। 

                           अतः जो घटना मेरे साथ हो चुका है मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता की मेरे आने वाले पीढ़ी के साथ वही सब हो। जो समय मै बर्बाद कर चुका हूं वही सब मेरे आसपास के लोगों के साथ हो मैं ये बिल्कुल नहीं चाहूंगा। और बता दूं।जितनी राजनीति गांव में हो रही है उतनी राजनीति तो शायद क्षेत्र के मंत्री को भी नहीं आती होगी।
                           समय गुजर जाने के बाद मेरा अनुभव यही कहता है की ग्राम के प्रमुख व्यक्ति ही चाहते हैं की ये गांव अंधेरे में ही रहे। एक दूसरे से लड़ते रहें और उनका कालाबाजारी का धंधा चलतें रहे।
                                        ऐसा एक ही गांव में नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर  ग्रामीण क्षेत्रों में यही दशा देखनें को मिलेगा। ग्राम प्रमुखों के द्वारा  निम्न किसानों को या तो शराब गांजा के नशेडी बना दिया जाता है, या फिर इतना मजबूर कर दिया जाता है की उपर उठ ही ना सके।और गांव में अपना राज हुकुम चलाते रहें या फिर ऐसा दबाओ बनाया जाता है की एक मजदूर वर्ग के लोग मजदूरी ही करते रहे। और उपर उठ ही ना सके। ग्राम प्रमुखों के द्वारा छोटे तबके के परिवारों के साथ बेखौफ होकर शोषण किया जाता रहा है। कभी शिक्षा को लेकर तो कभी समाज को लेकर, कभी गांव के नियम के उल्लंघन के कारण सामाजिक बहिष्कार तो कभी धार्मिकता के चलते दंगे, कभी मारपीट,कभी जातिवाद,तो कभी क्षेत्रीयवाद,जैसे दंगे करवा कर गांव में निम्न वर्ग के लोगों का शोषण किया जाता है। शराब के लत लगाकर छोटे बच्चों के जीवन को नर्क बनाने में ग्राम प्रमुखों का अहम भूमिका रहती है। नशे के लत लगाकर भविष्य को नर्क में झोंखकर उनसे मजदूरी कराने वाले कुछ लोगों के कारण आज छत्तीसगढ़ के लोग राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक, आदि के क्षेत्र में अन्य जगहों की तुलना में काफी कमजोर हो चुके हैं
          अतः शासन प्रशासन एवं छत्तीसगढ़ के हितैषियों से मेरा अनुरोध है की
 (1) अवैध शराब गांजा एवम अन्य तरह के नशे की बिक्री पर तुरंत रोक लगाया जाए और पकड़े जाने पर गैरजमानती धारा लगाकर कठोर कारवाई की जाए।
(2) किसी भी परिवार का चाहे कोई भी विवाद का विषय हो सामाजिक बहिष्कार करने से पहले जिला स्तरीय सामाजिक बैठक कर पूरे मामले का पूर्ण जायजा लिया जाने के बाद फैसला सुनाया जाए।
(3) ग्राम प्रमुखों के द्वारा मनमौजी नियम बनाकर निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करने वालों के खिलाफ जिला स्तर पर  सर्वमान्य नियम बनाया जाए। जन्हां नशा बिक्री का मामला उठता हो ऐसे ग्रामों में महिला टीम तैयार किया जाए।



भूपेश बघेल डरता है पुलिस को आगे करता है,यह नारा पूरे छत्तीसगढ़ में गूंज रहा ।अब एक और प्रस्तुति इस वीडियो में।एक और बात दाऊजी ये चोर पुलिस का खेल तो बहुत हो  चुका अब ये पत्रकारिता कानून कब लागू होगी यह भी बता दीजिए।







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