किसी शायर ने कहा है बड़े खूब,की मैं सारे सवालों का मुकम्मल जवाब हूं,जी हां मैं सारे सवालों का मुकम्मल जवाब हूं,गर वक्त मिले तो मुझे पढ़ना मैं भारत का संविधान हूं, मैं भारत का संविधान हूं।काम वो करो जो मन को भाए,दूसरों को जो अच्छा लगे ऐसा करने के भी क्या फायदे साहिब हम साहू हैं तेली नहीं,छिछोड़ी हमारे बस की नहीं,उठा जो सर हमारे खिलाफत में,बेशक धड़ सर से अलग नजर आएगा।तुम्हें इतना भी नहीं मालूम,किजो तुम्हें अपनापन दिखा रहे हैं,वही तुम्हे कटोरा पकड़ा देंगे।तुम्हें इतना भी समझ नहीं की हमारे दुश्मनो में इतना दम नहीं की वो हमसे अकेले नजर मिला सके। कुत्तों की महफिल में छुपकर निशाना लगाने की कोशिश कर रहे हैं, पर उन्हें ये नहीं मालूम की हम भी बेशर्मी की क्लास में टॉप कर चुके हैं। उनकी चेहरे की मुस्कान तक में मुरझान नजर आने लगा है।वो अहसान भी क्या जो जरूरत खत्म होने के बाद मिले,जब जरूरत हो किसी चीज की तब अहसान मिले तो शायद तारीफे दोगुनी होने के साथ ब्याज भी मिले। लात मार दिए हमने भी जो पहले से ही रूल्स तैयार थे।
जय छत्तीसगढ़
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