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सोमवार, मई 09, 2022

ग्राम पंचायत भरनाभाट के ग्रामीणों ने किया नशाखोरी के खिलाफ आवाज बुलंद

ग्राम पंचायत भरनाभाट के ग्रामीणों ने किया नशाखोरी  के खिलाफ आवाज बुलंद





दिनांक 10/05/2022


लगातार बढ़ रहे युवाओं में नशाखोरी के लत को देखते हुए, ग्राम पंचायत भरनाभाट के ग्रामीणों ने मिलकर शराब, गांजा एवम अन्य मादक पदार्थों से युवाओं में बढ़ रहे मानसिक एवं पारिवारिक तनाव, आर्थिक तथा सामाजिक बुराइयों के कारण ग्राम में हो रहे, अव्यवस्था एवम विवादों के कारण, बच्चों पर लग रहे बुरे आदत से बचने के लिए भरनाभाट के ग्रामीनो ने बहुत ही शानदार निराकरण निकाला है।ग्रामीणों ने फैसला लिया है। 

जो भी व्यक्ति ग्राम में शराब बिक्री करते देखा जायेगा, वा जो कोई भी व्यक्ति शराब पीते दिख जाता है समस्त ग्राम क्षेत्र के भीतर तो उसे आर्थिक रूप से दण्डित किया जाएगा। 

कांग्रेस की सरकार जब से सत्ता में आई है छत्तीसगढ़ में,तब से सारे मुद्दों पर चर्चे तो होते ही रहे हैं,

लेकिन छत्तीसगढ़ के वर्तमान सरकार घोषणा में शराबबंदी को लेकर लोगों के निशाने पर रही है। 

घोषणा के बाद भी अब भी पूर्ण शराबबंदी छत्तीसगढ़ में नहीं हो पाई है। जोकि छत्तीसगढ़ की जनता के लिए निश्चित ही दुर्भाग्य की बात है।

बता दूं कि इसके पूर्व छत्तीसगढ़ के सीएम माननीय रमन सिंह जी 15 साल तक सत्ता में रहे लेकिन शराबबंदी नहीं करवा पाई थी। 

अब पुनः उसी घोषणा को हस्तांतरण कहा जाए जिसको कांग्रेस सरकार  कर रही है। 

लोगों को छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी की बात कह कर सत्ता में जगह बना लिए हैं ।
 लेकिन लोगों के वास्तविकता समस्याओं से अभी भी रूबरू नहीं हो पाए हैं।

    छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र कहे जाने वाले माननीय बघेल जी को निश्चित ही याद होगा की पूर्व में भी ऐसी घोषणा विपक्षी पार्टी के द्वारा की जा चुकी थी। लेकिन असफल रही है।


         ऐसे ही व्यवस्था अगर समस्त छत्तीसगढ़ में शुरू हो जाए तो, शायद समस्त छत्तीसगढ़ के सर्व समाज में आधा बुराई एवम समस्याओं के निराकरण ऐसे ही हो जाएंगे। 

नवयुवकों में हो रहे नशाखोरी,
आदि की लत एवम पारिवारिक विवाद की जड़ जो नशाखोरी है।

       इस पर सर्वजन की सहमति की जरूरत है। जिस प्रकार भरनाभाट के ग्रामीणों ने अनेकता में एकता बनाकर युवाओं के भविष्य के लिए मिलकर मर्यादा का परिचय पेश किया।वैसे ही सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में कदम उठाकर अपनी आवाज बुलंद करना होगा। तभी *हमर छत्तीसगढ*

हमारा हो पाएगा अन्यथा अन्याय और बेरोजगारी की मार से आने वाली पीढ़ी भ्रष्टाचारियों के उंगली का कठपुतली बनकर गुलामी करते नजर आएंगे।

समस्त ग्रामीण जनों को एवम समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों को चाहिए की अपने बच्चों के भविष्य को दो चार रुपए के लिए राजनीतिक बलि का बकरा बनने से पहले एक बार जरूर सोच लें।
राजनीति क्षण भंगुर है वैसे भी इसे जो समझ गए वे संभल गए। 

आज कल तो लोग अपनी पावर का इस्तेमाल जिस काम के लिए पद ग्रहण करते उस काम से संतुष्ट नहीं रहते बल्कि अनैतिक कार्य करने के लिए पदग्रहन करते हैं। भ्रष्टाचार के मामले में ...राजनेता का सपोर्ट😊







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