स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार/बालोद
मीडिया कर्मी कब तक शिकार होते रहेंगे अपराधियों के छत्तीसगढ़ में
(कभी फर्जी पत्रकारी का आरोप तो कभी जान से मारने की धमकी)
पत्रकारीता कानून बनाने की बात कब होगी पूरी.....? मीडिया को लाचार होते देख बड़ा दुख होता है हमें जनता के बीच। अगर कोई करप्शन को उजागर कर रहा है, या कोई कालाबाजारी को उजागर करता है तो क्या उसके बदले उस पर हमला करना सही है। हर एक मीडिया कर्मी दोगली हो,ऐसा विचार रखना सही नहीं है। कुछ कमीशन खोरों की वजह से समाज में गंदी मानसिकता बनी हुई है की सारे मीडिया कर्मी फालतू होते हैं। निकम्मे होते हैं।या फिर फ्री के खाने वाले होते हैं।लोगों की मानसिकता ऐसा बन चुका है जो दोगली लालची मीडिया है उसे तो अपने विज्ञापन के लिए तथा अपनी बड़ाई करने के लिए खरीदने में तुली हुई हैं प्रशासन। जो रिपोर्टर निःस्वार्थ सेवाभावना के साथ समाज के छोटे बड़े सभी खबरों को जन जन तक पहुंचा रहे हैं उन रिपोर्टरों एवम पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया जाए यह कहां तक सही है...?जो मीडिया लालची हो उसे आप कमीशन देकर खरीद ले रहे हो। तो कन्हा से करप्शन बंद होगा। क्राइम क्यों नहीं बढ़ेगा। जिसे प्रशासनिक सपोर्ट मिल रहा है। उसे फिर डर कैसा, खुलेआम क्राइम करेंगे। आज एक मीडिया कर्मी जो अपनी रोजी रोटी छोटा मोटा विज्ञापन से चलाता था। उस पर हमला हुआ है। कल किसी और पर होगा। एफ.आई.आर. तो हुई पर ठोस कारवाई होगी या नहीं ये बड़ा सवाल है...? और कब तक ऐसे ही चलता रहेगा।
शीघ्र ही छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता कानून बनाया जाए.. सरकार को इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें