स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार
2012 से लेकर अबतक। मेरे घर को तोड़ दिया गया था। ग्राम के कुछ लोगों के द्वारा हुक्का पानी सब बंद करवा दिया गया था। मेरे ही नहीं बल्कि मेरे गांव के कुछ अन्य लोग भी हैं जोकि इसी तरह से शोषण का शिकार है। भले ही वे लोग डर की वजह से बोलना नहीं चाहते हो लेकिन मैं बता दूं, मुझे बार बार कुछ लोगों के द्वारा जबरदस्ती टॉर्चर किया जा रहा है, एवम बेवजह मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है। पीएम आवास मिला था जो की शासन के द्वारा भूमिहीन परिवारों को दिया गया था। जिसका निर्माण शुरू हो चुका था। परंतु कुछ लोगों के द्वारा उस भूमि को निर्माण करने नहीं दिया गया। तथा बेवजह धार्मिक दंगे फैलाने की मंशा से मुझ पर लगातार दबाव बनाया गया। समाज में जुड़कर रहने के लिए। लेकिन अब सबकुछ तोड़ फोड़ करने के बाद।
मैं रायपुर हरिभूमि में जॉब पर था। तो वहां भी कुछ कट्टरपंथियों के द्वारा बार बार टॉर्चर किया जा रहा था। और अंततः मुझे रिजाइन देना पड़ा।
कट्टरपंथियों में मेरे ग्राम पंचायत के ही लोग शामिल थे जिनके द्वारा मुझे बार बार टॉर्चर किया गया।मेरे कार्य क्षेत्र में दबाओ दिया गया।मेरा नाम से झूठी अफवाहें फैलाई जा रही थी कि ये नक्सलवादी है। तो कभी कह रहे हैं की ये ईसाई हैं...? तो कभी कह रहे हैं की ये देश के गद्दार हैं। लेकिन वास्तविकता यह है की पूरे गांव जो की डूमरघुंचा में बेजा कब्जा है उसको हटाने के बजाए हमारे बन रहे घर पर अनावश्यक रूप से तोड़ फोड़ और मैटेरियल को चोरी कर लिया गया जोकि अत्यंत अमानवीय एवम अनैतिक है। जबकि सच्चाई पुलिस वाले को भी पता होते हुए भी हमारा एफ.आई.आर. नहीं लिखा गया। बल्कि थाने वालों के सामने धमकी देकर जबरदस्ती मारपीट करवाया गया था।
और आज भी वही हाल है निम्न वर्ग के लोगों का शोषण कर उन्हें विलय कर उनके जमीन पर बेजा कब्जा कर लिया जाता हैं। सरकारी भूमि पर बेजा कब्जा किए जाते हैं। और इनके खिलाफ बोलने पर ग्रामों में संगठित होकर डराया जाता है। मकान पर तोड़ फोड़ करवा दिए जाते हैं। या फिर धार्मिक दंगे करवाए जाते हैं। एवम राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए झूठा आरोप लगा कर मारपीट करवाया जाता है। मेरे मकान निर्माण को गौठान जाने का रास्ता बताकर मकान बनने से रोक दिया गया एवम मैटेरियल को चोरी करके ले गया। इस पर अबतक कोई करवाई नहीं की गई। पूछने पर जवाब आया की ईसाई धर्म में शामिल हो गए हो इसलिये कोई एफ.आई.आर. नहीं हो सकती।
और अब जब मैंने आर.टी. आई. की मदद से जानकारी जनता के सामने समाचार के माध्यम से वास्तविकता सामने रखा हूं तो भी जबरदस्ती मेरे ही पीछे राजनीति करने में लगे हुए हैं। चौकी पिनकापार से हवलदार कुलेश्वर यादवजी मेरे घर में मोबाइल जप्त करने के लिए पहुंचे थे। सिर्फ संपति जप्त के फॉर्म में साइन करवा कर रखे हैं। तो मेरा सवाल ये है की कोई रिपोर्ट पहले दर्ज हुआ है उस पर कारवाई पहले होना चाहिए या फिर जो रिपोर्ट बाद में दर्ज हुआ है उस पर कारवाई होना चाहिए...?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें