छत्तीसगढ़ में हो रहे बेगुनाहों की मौत के असली जिम्मेदार कौन...?
पुलिस को चाहिए की न्यायपूर्ण कारवाई करे, किसी के दबाओ में आकर या रिलेशनशिप के चलते किसी के साथ अन्याय न करें, हर एक को अपनी स्वयं की जिंदगी कैसे जीना है इसका फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। जबरदस्ती किसी के साथ अन्याय दो चार पैसों के लिए किसी की जिंदगी तबाह कर देना सही नहीं है।क्या हुआ जो हाई कमान का आदेश आ गया। एक बार ये सोच लो की जो होगा होने दो यह सोचकर हाई कमान का भी आदेश के खिलाफ जाके तो देखो जितने दंगाई अभी राज कर रहे हैं ना सबके सब अपनी औकात में आ जाएंगे।
पुलिस को कठपुतली बनाके नाचने वाले कुत्तों के खिलाफ एक बार एक्शन तो लीजिए साहब मनमौजी क्यों दौड़ लगा रहे हो। ईमानदारी की नौकरी करते हो या तलवे चाटने के बाद लगे हुए हो नौकरी में।
जबकि ये जानकर भी की कुछ भी फसाद होने के बाद उंगली पुलिस वालों पर ही उठ रही है। क्यों अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हो।कवर्धा, जसपुर, बालोद, दुर्ग, रायपुर, दंतेवाड़ा, या फिर महासमुंद कहीं पर भी देखलो, अंत में उंगली पुलिस पर ही उठी है तो मेरा मानना की क्यों इन दंगाइयों की कठपुतली बने बैठे हो साहिब। जैसा चाहे नचाते रहे और तुम लोग नाचते रहते हो ऐसा क्यों...?
इनके पीछे का जो भी कारण हो उसको ढूंढ कर मारो गोली। छत्तीसगढ़ के बेगुनाहों को कब तक भोगना पड़ेगा ये सब...? नाचते रहोगे दंगाइयों के उंगली के इशारे में।
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