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वंदे मातरम् |
कौन बताए इन मूर्खों को कि मानता हूं, मनुष्य के जीवन में तरक्की पाने के लिए सोसायटी के साथ साथ संविधान भी जरूरी है, अगर किसी को गिराना ही है तो सामने से वार करो, पीठ पे छुरा घोंपना कोई बहादुरी की बात नहीं, क्यों फटके हाथ में आ जाती है जब कोई अपने से नीचे दर्जे के लोग सच्चाई बोलना शुरू कर देता है तो मैं कोई गांव का पटेल नहीं हूं, और नहीं समाज का दुश्मन हूं। मैने तो अपने हक़ के लिए अन्याय के खिलाफ जंग छेड़ी है। अब इसमें लोगों को क्या समझ आता है क्या नहीं ये उनकी प्रॉब्लम है,
लेकिन हमें जो सही लगता है उतना तो हम करते थे और जो सही लगेगा वहीं करेंगे। समाज और धर्म के ठेकेदारों ने अपना अपना ज्ञान पेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है फिर भी कुछ लोग ऐसे भी है जो इन रूढ़िवादी परंपरा को मिटाना चाहते हैं, ऐसे लोग जिनको किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है, लोग भले ही उन्हें अपने धर्म के दुश्मन मानते हो लेकिन ऐसा मानना ग़लत है क्योंकि हो सकता है कोई नास्तिक व्यक्ति भी समाज के कार्यों में अपना योगदान दे वो भी नि स्वार्थ भाव से।
अतः लोगों को ये समझना जरूरी है कि हर एक व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो अगर उन्हें किसी कारण से बहिष्कृत किया गया है, या किसी भी प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है तो इसके पीछे का राज जरूर जानें, नहीं तो अपने ही समाज और देश के दुश्मन को ही अपने आसपास पाओगे,
और इसी तरह रूढ़िवादी और संविधान के खिलाफ कार्य करने वाले देश के दुश्मनों को फलने फूलने के लिए पनाह देते रह जाओगे।इसी तरह का एक जीता जागता उदाहरण है ग्राम पंचायत भरनाभाट के आश्रित ग्राम डूमरघूंचा, जनपद पंचायत डौंडीलोहारा जिला बालोद छत्तीसगढ़ का जहां आज भी कुछ लोगों ने अपने दादागिरी और अपनी गुंडागर्दी एवम् तानाशाही के बल में समाज को इस तरह टुकड़ों में बांट चुके हैं कि लोगों को इतना भी फर्क महसूस नहीं है की वास्तविकता क्या है, लोग एक दूसरे को लूटने में लगे हुए हैं। 21 सदी में भी लोगों के मन में अंध विश्वाश भरा हुआ है। और इसका पूरा नुकसान आने वाली पीढ़ी को हो रहा है। इसी धार्मिकता और जातिभेद के कारण आज समाज टुकड़ों में बंट रहा है और इसका फायदा गांव के कुछ दरिंदों के जेब में जा रहा है। कुछ लोग अपनी दादागिरी के चलते समाज को ऐसे गंदे कर दिए है कि अपने हक़ पाने के लिए लोग मोहताज हो रहे हैं। अपने ही मा बहन को नीलाम कर अपने जेबें भरने में लगे हुए हैं, इसका फायदा सीधा सरपंच सचिव के जेब में जा रहे है। अभी तक ना खंभे में बिजली आयी और नहीं गली में सड़क बिछे हैं, और नहीं आजतक गांव में पहुंच मार्ग के लिए सड़क पक्की हुई है।
मेरे समझ में ये नहीं आ रहा जब सब जिले के ब्लॉक में सब काम पूरे ठीक ठाक चलता है तो फिर हमारे डौंडीलोहारा ब्लॉक वालों के कार्यों में इतनी हड़बड़ी क्यों हो जाती है। हर जगह रोड बन कर तैयार हो गए हैं तो हमारे ही गांव और ब्लॉक में ही इतना अंधेरा और योजनाओं को लागू होने में इतना पीछे क्यों है।आखिर कहा कहा पे लुटेरे बैठे है।कहां से गड़बड़ी हो रही है इसका भी तो जानकारी होना जरूरी है। कब तक लूटेंगे लोगों को ये अशमंजश का विषय बना है।
🖋️ डीकेश साहू
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