ऐसा भी कानून पत्रकारिता कानून के साथ लागू करे छत्तीसगढ़ सरकार जिसमें
संगठन के आड़ में कमिशन खोरी एवम हिंसा फैलाने जैसे समाचार का प्रकाशन करने वाले पत्रकारों को उम्र कैद की सजा शामिल हो
*स्वतंत्र समाचार स्वतंत्र विचार*
दैनिक हिंदी वेब मीडिया (छ.ग.)
17/05/2022
कुछ ऐसे पत्रकारों के नाम सामने आए हैं जिन पर आंतरिक शांति भंग करने का आरोप लग रहे हैं,
जो संगठन की आड़ में पत्रकारिता को बदनाम करने में लगे हुए हैं।
ये वे पत्रकार है जो मीडिया के आड़ में पंचायतों ग्राम पंचायतों, पुलिस स्टेशन वाह सरकारी दफ्तरों में इनका कनेक्शन होता है इनके चक्कर में वे पत्रकार जो निस्वार्थ भाव से पत्रकारिता को अपना मुख्य कर्तव्य समझते हैं उन लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है इन कमीशन खोरो के कारण जो ईमानदार और निस्वार्थ भाव से सेवा भाव से पत्रकारिता को अपना मूल कर्तव्य समझते है,उनको खुले में सांस लेना मुस्किल हो जाता है। ऐसी पत्रकारों को उम्रकैद एवं आजीवन किसी भी मीडिया संस्थाओं में जगह ही ना ना मिलने पाए ऐसा कोई कानून भी पत्रकारिता कानून में शामिल करें सरकार अन्यथा मीडिया संस्थानों को चाहिए की ऐसे मीडिया कर्मियों को बिल्कुल भी स्थान ही ना दिया जाए जिससे देश एवं राज्य तथा किसी भी सरकारी दफ्तरों में जाकर कमीशन खोरी ना कर सके और भ्रष्टाचार समाज में एवं गांव में पनप ही ना पाए।
और युवा पत्रकारों को भी निस्वार्थ भाव से पत्रकारिता करने का मौका मिल सके और सच्चाई के साथ समाचार लोगों तक पहुंच सके जिससे देश की आंतरिक छवि बेहतर बनी रहे। एवम दंगाइयों को कोई भी मौका ना मिले।
कमिशन खोरी की लत
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