मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
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दैनिक हिंदी वेब मीडिया (छ.ग.)
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Hon’ble Chief Justice of India श्री एनवी रमन्ना जी, जस्टिस श्री यूयू ललित जी, देश के कानून मंत्री श्री किरण रिजिजू जी, राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल जी, राज्यों के सभी आदरणीय मुख्यमंत्री गण, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स ऑफ UTs, Hon’ble Judges of the Supreme Court of India, Chief Justices of High Courts, distinguished guests, उपस्थित अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,
राज्य के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट्स के मुख्य-न्यायाधीशों की ये जॉइंट कॉन्फ्रेंस हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्रण है। मुझे ख़ुशी है कि इस अवसर पर मुझे भी आप सबके बीच कुछ पल बिताने का अवसर मिला है। हमारे देश में जहां एक ओर judiciary की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं legislature नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का roadmap तैयार करेगा। मैं आप सभी को इस आयोजन के लिए हृदय से शुभकामनायें देता हूँ।
साथियों,
मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की ये जॉइंट कॉन्फ्रेंसेस पहले भी होती आई हैं। और, उनसे हमेशा देश के लिए कुछ न कुछ नए विचार भी निकले हैं। लेकिन, ये इस बार ये जो आयोजन अपने आपमें और भी ज्यादा खास है। आज ये कॉन्फ्रेंस एक ऐसे समय में हो रही है, जब देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के इन 75 सालों ने judiciary और executive, दोनों के ही roles और responsibilities को निरंतर स्पष्ट किया है। जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये relation लगातार evolve हुआ है। आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में जब देश नए अमृत संकल्प ले रहा है, नए सपने देख रहा है, तो हमें भी भविष्य की तरफ देखना होगा। 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने judicial system को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। अमृतकाल में हमारा विज़न एक ऐसी न्याय व्यवस्था का होना चाहिए जिसमें न्याय सुलभ हो, न्याय त्वरित हो, और न्याय सबके लिए हो।
साथियों,
देश में न्याय की देरी को कम करने के लिए सरकार अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही है। हम judicial strength को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, judicial infrastructure को बेहतर करने की कोशिश चल रही है। Case management के लिए ICT के इस्तेमाल की शुरुआत भी की गई है। Subordinate Courts और district courts से लेकर high courts तक, vacancies को भरने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं। साथ ही, Judicial infrastructure को मजबूत करने के लिए भी देश में व्यापक काम हो रहा है। इसमें राज्यों की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
साथियों,
आज पूरी दुनिया में नागरिकों के अधिकारों के लिए,
उनके सशक्तिकरण
के लिए technology एक important tool बन चुकी है। हमारे judicial system में भी, technology की संभावनाओं से आप सब परिचित हैं। हमारे Honourable judges समय-समय पर इस विमर्श को आगे भी बढ़ाते रहते हैं। भारत सरकार भी judicial system में technology की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, e-courts project को आज mission mode में implement किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट e-committee के मार्गदर्शन में judicial system में technology integration और digitization का काम तेजी आगे बढ़ रहा है। मैं यहाँ उपस्थित सभी मुख्यमंत्रियों और high courts के सभी chief justices से भी आग्रह करूंगा कि, इस अभियान को विशेष महत्व दें, इसे आगे बढ़ाएँ। डिजिटल इंडिया के साथ judiciary का ये integration आज देश के सामान्य मानवी की अपेक्षा भी बन गई है। आप देखिए, आज कुछ साल पहले डिजिटल transaction को हमारे देश के लिए असंभव माना जाता था। लोगों को लगता था, लोग शक करते थे अरे यह हमारे देश में कैसे हो सकता है? और ये भी सोचा जाता इसका स्कोप केवल शहरों तक ही सीमित रह सकता है, उससे आगे बढ़ नहीं सकता है। लेकिन आज छोटे कस्बों और यहाँ तक कि गाँवों में भी डिजिटल transaction आम बात होने लगी है। ये पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं। सरकार से जुड़ी वो सेवाएँ जिनके लिए पहले नागरिकों को महीनों offices के चक्कर काटने पड़ते थे, वो अब मोबाइल पर available हो रही हैं। ऐसे में स्वाभाविक है, जिस नागरिक को सेवाएँ और सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध हो रही हैं, वो न्याय के अधिकार को लेकर भी वैसी ही अपेक्षाएँ करेगा।
साथियों,
आज जब हम technology और futuristic approach की बात कर रहे हैं, तो इसका एक important aspect tech-friendly human resource भी है। Technology आज युवाओं के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। ये हमें सुनिश्चित करना है कि युवाओं की ये expertise उनकी professional strength कैसे बने। आजकल कई देशों में law universities में block-chains, electronic discovery, cyber-security, robotics, Artificial Intelligence और bio-ethics जैसे विषय पढ़ाये जा रहे हैं। हमारे देश में भी legal education इन international standards के मुताबिक हो, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे।
साथियों,
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