

पार्टी पैसा वाला या पावर वाला नहीं चाहिए साहब हमें मानवतावादी चाहिए,
Well Educated ईमानदार, और अच्छी शिक्षा प्रदान करने वाला चाहिए। जबरिया धर्मांतरण कोई नहीं कराता साहब, कुछ लोग समाज के अंदर कुर्सी में अपना पिछवाड़ा ऐसे टिकाए बैठे हुए हैं, जैसे उपर से परमानेंट फेविक्विक लगा के भेजे हों, धर्मांतरण करवाने वाले कोई विदेशी नागरिक नहीं होते ये तो हमारे ही इर्द गिर्द के लोग होते हैं जो समाज को टुकड़े में बांटकर अपना मनमानी चलाना चाहते हैं, ये रसूखदारों के द्वारा नीचे दबाए रखने के मंशा से जबरदस्ती माहौल खराब करवाने के लिए जबरदस्ती धर्मांतरण का नाम दिया जाता है, ताकि दंगे हो और दंगाइयों के पेट रोजी चलती रहे। और लोगों में इनका डर बना रहे, कोई उपर न उठ सके कुछ लोग पैसे के लालच में धर्मांतरण करते हैं ये कहना मेरे ख्याल से बिल्कुल गलत है। जरूरी नहीं हर जगह पैसे दिए जाते हों। कुछ लोग, समाज में छुपे हुए तानाशाही की वजह से धर्मांतरण करते हैं। अगर जहां तक मेरा मानना है, समाज के दबे हुए लोग आज भी दबे ही हैं। कारण सिर्फ ये है की रसूखदारों की आज भी गुलामी करवाना चाहते हैं। मूलनिवासियों को आज भी शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। और कोई बहाने नहीं मिल रहे हैं तो शराब के लत लगाकर नवयुवकों को आगे बढ़ने से अवरुद्ध किया जाता है। और अगर उससे भी बात नहीं बनती है तो समाज को क्षेत्रीयवाद जैसे विभागों में बांटकर लोगों को गुमराह किया जाता है ताकि लोग आपस में ही लड़ते रहे। ताकि समाज और शासन अपने तरीके से चलाया जा सके, और बात न बने तो आपसी भेदभाव छुआ छूत जैसे बीमारी को बढ़ाया जाता है, ताकि देश को आज भी अंधकार में रखा जा सके, देखिए हमारे पीएम आवास के नाम से कई करोड़ रुपए के घोटाले हरेक पंचायतों में मिल जाएंगे, ग्रामीणों के आज भी जो योग्य है उनके मकान जैसे के तैसे पड़े हुए हैं,मकान ढह जाता है लेकिन मकान नहीं बनता,ये किसी बाहरी लोगों के द्वारा किया गया कार्य नहीं है,बल्कि अपने ही बीच के प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा किया गया भेदभाव है। और गोदी मीडिया मुंह ताकते रहता है की कौन मुंह खोले क्योंकि कमीशन हर पंचायत हर गांव करप्शन करने वाले लोगों से मिलता है। और जब दाल ना गले तो आपस में लोगों को उकसाया जाता है ताकि इनका दबदबा बना रहे। मीडिया अगर ईमानदारी से काम करें तो,शायद देश के 75% समस्याएं यूं ही समाप्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि 20% कमीशन सबको मिलता है। जंगलों की अवैध कटाई अब तक नहीं रुक पाई है क्योंकि, कहीं न कहीं पत्रकारों की कनेक्शन काला बाजारी से जुड़ा हुआ है। न्यूज में खुलासे तब होते हैं जब उसमें भी अगर सरकार उसी घोटालेबाज की न हों, और तब तक मुंह नहीं खोलेंगे जब तक कमीशन बराबर जाता रहेगा, जिसके संपर्क में बड़े मंत्री होंगे उसी के गुलामी करने वाले या यूं कहूं तो तलवे चाटने वाली उसके गोदी मीडिया होगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकारों को घोटाले करते नहीं बनेंगे।........अब देखिए ना आवास घोटाले करने वालों में पूर्व सरपंच शामिल था, तब सरकार छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ही थी और आवास के पैसे घोटाले करने वाले सरपंच की तो शुरू से ही मनमानी रही है,अब जब घोटाले में खुलासा हुआ भी तो, सरकार भी बदल चुकी है और पूर्वसरपंच और पूर्वसचिव भी लेकिन न्यूज पेपर में बड़ा सा हेडर में लिखा होता है, पूर्व पंचायत सचिव ने लिख दी अपात्रता का कारण। अरे मीडिया वाले भैया मेरे, ये किसको बता रहे हो..? कमीशन की लत छोड़ो और एक जागरूक ईमानदार देशभक्त बनो, नहीं तो ऐसे ही तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी शोसन के शिकार होते रहेंगे जब तक न्याय मिलना होता है तब तक आवास बनते बनते हितग्राही ही खत्म हो जाता है तो ये है भाई वास्तविकता छत्तीसगढ़ का, आते आतें ऐसी ही मर जाओगे हिम्मत करके बोलना सीखो। नहीं तो आपस में लड़कर मर जाओगे। घोटाले में मुख्य भूमिका तो पुलिस की होती है। जो आज भी कुछ पैसों के चक्कर में fir तक लिखने से झिझकते हैं। गद्दारों का नाम आज भी छुपा रहता है, और बदनाम कोई और हो जाता है। सच्चाई जानना है तो शुरू वहीं से करो ना साहब, जहां से किस्सा शुरू हुआ था। और एक और बात बता दूं, ये जो समाज और गांव के लफड़े हैं ना ये कोई बड़े मुद्दे नही है। सब शांत है लेकिन क्रांतिकारियों को लगता है, समाज में तानाशाही और दंगे करके आगे बढ जाएंगे तो ये उनका भ्रम है। मानता हूं छत्तीसगढ़ के लोग भोले भाले है इसका मतलब ये नहीं की उनको अपने अधिकार के बारे में नहीं मालूम। सबसे पहले मैं छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों से अनुरोध करता हूं की कोई भी कहीं पे भी अगर 1 रुपए रिश्वत खोरी करें या कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने कार्यों में भ्रष्टाचारी करता है तो उसका खुला विरोध करें। फिर किसी तरह की आनाकानी करता है तो उसे तत्काल लात घुसे से स्वागत करें। उसके बाद उनसे बात करें। तब तक उनसे लात घुशों का स्वागत करते रहें जबतक कमीशन या गुमराह करने के लिए हाथ जोडकर माफी ना मांग ले। कोई भी किसी पत्रकार को या किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत लेते या देते पाए जाने पर किसी हेल्पलाइन नंबर पे फोन करने के बजाए पहले दो चार तमाचे लगायें, उसके बाद फिर हेल्पलाइन नंबर पे बात करें। और अगर कहीं पे कोई आनाकानी या किसी प्रकार की बात को टाल मटोल करता है जैसे बालोद श्रम विभाग जैसे दप्तर में खुलेआम रिश्वत खोरी चल रहा था,मैने खुला विरोध किया और तब तक हल्ला किया जब तक वो ऑफिस छोड़कर भाग नहीं गया।


पार्टी पैसा वाला या पावर वाला नहीं चाहिए साहब हमें मानवतावादी चाहिए,
Well Educated ईमानदार, और अच्छी शिक्षा प्रदान करने वाला चाहिए। जबरिया धर्मांतरण कोई नहीं कराता साहब, कुछ लोग समाज के अंदर कुर्सी में अपना पिछवाड़ा ऐसे टिकाए बैठे हुए हैं, जैसे उपर से परमानेंट फेविक्विक लगा के भेजे हों, धर्मांतरण करवाने वाले कोई विदेशी नागरिक नहीं होते ये तो हमारे ही इर्द गिर्द के लोग होते हैं जो समाज को टुकड़े में बांटकर अपना मनमानी चलाना चाहते हैं, ये रसूखदारों के द्वारा नीचे दबाए रखने के मंशा से जबरदस्ती माहौल खराब करवाने के लिए जबरदस्ती धर्मांतरण का नाम दिया जाता है, ताकि दंगे हो और दंगाइयों के पेट रोजी चलती रहे। और लोगों में इनका डर बना रहे, कोई उपर न उठ सके कुछ लोग पैसे के लालच में धर्मांतरण करते हैं ये कहना मेरे ख्याल से बिल्कुल गलत है। जरूरी नहीं हर जगह पैसे दिए जाते हों। कुछ लोग, समाज में छुपे हुए तानाशाही की वजह से धर्मांतरण करते हैं। अगर जहां तक मेरा मानना है, समाज के दबे हुए लोग आज भी दबे ही हैं। कारण सिर्फ ये है की रसूखदारों की आज भी गुलामी करवाना चाहते हैं। मूलनिवासियों को आज भी शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। और कोई बहाने नहीं मिल रहे हैं तो शराब के लत लगाकर नवयुवकों को आगे बढ़ने से अवरुद्ध किया जाता है। और अगर उससे भी बात नहीं बनती है तो समाज को क्षेत्रीयवाद जैसे विभागों में बांटकर लोगों को गुमराह किया जाता है ताकि लोग आपस में ही लड़ते रहे। ताकि समाज और शासन अपने तरीके से चलाया जा सके, और बात न बने तो आपसी भेदभाव छुआ छूत जैसे बीमारी को बढ़ाया जाता है, ताकि देश को आज भी अंधकार में रखा जा सके, देखिए हमारे पीएम आवास के नाम से कई करोड़ रुपए के घोटाले हरेक पंचायतों में मिल जाएंगे, ग्रामीणों के आज भी जो योग्य है उनके मकान जैसे के तैसे पड़े हुए हैं,मकान ढह जाता है लेकिन मकान नहीं बनता,ये किसी बाहरी लोगों के द्वारा किया गया कार्य नहीं है,बल्कि अपने ही बीच के प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा किया गया भेदभाव है। और गोदी मीडिया मुंह ताकते रहता है की कौन मुंह खोले क्योंकि कमीशन हर पंचायत हर गांव करप्शन करने वाले लोगों से मिलता है। और जब दाल ना गले तो आपस में लोगों को उकसाया जाता है ताकि इनका दबदबा बना रहे। मीडिया अगर ईमानदारी से काम करें तो,शायद देश के 75% समस्याएं यूं ही समाप्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि 20% कमीशन सबको मिलता है। जंगलों की अवैध कटाई अब तक नहीं रुक पाई है क्योंकि, कहीं न कहीं पत्रकारों की कनेक्शन काला बाजारी से जुड़ा हुआ है। न्यूज में खुलासे तब होते हैं जब उसमें भी अगर सरकार उसी घोटालेबाज की न हों, और तब तक मुंह नहीं खोलेंगे जब तक कमीशन बराबर जाता रहेगा, जिसके संपर्क में बड़े मंत्री होंगे उसी के गुलामी करने वाले या यूं कहूं तो तलवे चाटने वाली उसके गोदी मीडिया होगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकारों को घोटाले करते नहीं बनेंगे।........अब देखिए ना आवास घोटाले करने वालों में पूर्व सरपंच शामिल था, तब सरकार छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ही थी और आवास के पैसे घोटाले करने वाले सरपंच की तो शुरू से ही मनमानी रही है,अब जब घोटाले में खुलासा हुआ भी तो, सरकार भी बदल चुकी है और पूर्वसरपंच और पूर्वसचिव भी लेकिन न्यूज पेपर में बड़ा सा हेडर में लिखा होता है, पूर्व पंचायत सचिव ने लिख दी अपात्रता का कारण। अरे मीडिया वाले भैया मेरे, ये किसको बता रहे हो..? कमीशन की लत छोड़ो और एक जागरूक ईमानदार देशभक्त बनो, नहीं तो ऐसे ही तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी शोसन के शिकार होते रहेंगे जब तक न्याय मिलना होता है तब तक आवास बनते बनते हितग्राही ही खत्म हो जाता है तो ये है भाई वास्तविकता छत्तीसगढ़ का, आते आतें ऐसी ही मर जाओगे हिम्मत करके बोलना सीखो। नहीं तो आपस में लड़कर मर जाओगे। घोटाले में मुख्य भूमिका तो पुलिस की होती है। जो आज भी कुछ पैसों के चक्कर में fir तक लिखने से झिझकते हैं। गद्दारों का नाम आज भी छुपा रहता है, और बदनाम कोई और हो जाता है। सच्चाई जानना है तो शुरू वहीं से करो ना साहब, जहां से किस्सा शुरू हुआ था। और एक और बात बता दूं, ये जो समाज और गांव के लफड़े हैं ना ये कोई बड़े मुद्दे नही है। सब शांत है लेकिन क्रांतिकारियों को लगता है, समाज में तानाशाही और दंगे करके आगे बढ जाएंगे तो ये उनका भ्रम है। मानता हूं छत्तीसगढ़ के लोग भोले भाले है इसका मतलब ये नहीं की उनको अपने अधिकार के बारे में नहीं मालूम। सबसे पहले मैं छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों से अनुरोध करता हूं की कोई भी कहीं पे भी अगर 1 रुपए रिश्वत खोरी करें या कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने कार्यों में भ्रष्टाचारी करता है तो उसका खुला विरोध करें। फिर किसी तरह की आनाकानी करता है तो उसे तत्काल लात घुसे से स्वागत करें। उसके बाद उनसे बात करें। तब तक उनसे लात घुशों का स्वागत करते रहें जबतक कमीशन या गुमराह करने के लिए हाथ जोडकर माफी ना मांग ले। कोई भी किसी पत्रकार को या किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत लेते या देते पाए जाने पर किसी हेल्पलाइन नंबर पे फोन करने के बजाए पहले दो चार तमाचे लगायें, उसके बाद फिर हेल्पलाइन नंबर पे बात करें। और अगर कहीं पे कोई आनाकानी या किसी प्रकार की बात को टाल मटोल करता है जैसे बालोद श्रम विभाग जैसे दप्तर में खुलेआम रिश्वत खोरी चल रहा था,मैने खुला विरोध किया और तब तक हल्ला किया जब तक वो ऑफिस छोड़कर भाग नहीं गया।

तो उसे पहले कान के नीचे बजाएं उसके बाद पब्लिक में शेयर करें। आइए मिलकर छत्तीसगढ़ से अंधकार को मिटाएं शिक्षित बनाएं छत्तीसगढ़ में हो रही करप्शन और धार्मिक दंगों से नवयुवकों को बचाएं। ताकि आने वाली पीढ़ी को जाति और धार्मिकता जैसे दंगों वाली मानसिकता से हटकर हमारे समाज को एक मजबूत और मानवतावादी शिक्षित समाज बना सके,अगर हर व्यक्ति well Educated हो जाएंगे तो क्षेत्रियतावाद जातिवाद धार्मिकतावाद और करप्शन जैसे बीमारी से देश को बचाने की जरूरत नहीं पड़ेगा, हरेक नवयुवक खुद इतने समझदार हो जाएंगे की रिश्वत खोर रिश्वत लेने से पहले ही 100 बार सोचेंगे। अच्छी शिक्षा कभी किसी चीज की मोहताज नहीं होती। वो अपने आपमें संपूर्ण सक्षम है। समाज के उच्चवर्ग के लोगों में तकलीफ बढ़ जाती है जब लोग शिक्षित हो जाते हैं। मैने एक पुजारी को (पंडित) को शराब पीते देखा है मांस खिलाते और खाते देखा है। मैने एक पुजारी को नशा में चूर होते हुए देखा है। आज भी उनके घर में लड़कियों के साथ बलात्कार होते देखा है। लॉकडाउन की मजबूरी में ही रायपुर संतोषी नगर दुर्गा पारा जैसे मोहल्ले में मूलनिवासियों के साथ आनाचार होते देखा है। मूलनिवासियों के साथ 2021 के समय में भी बलात्कार होते देखा है।किसी मीडिया की इतनी हिम्मत नहीं हुई की उसका पंडित के खिलाफ एक शब्द बोल सके..किसी थाने में रिपोर्ट नहीं लिखा जाता क्योंकि वो पुजारी हैं।हिंदुस्तान के बड़े ज्ञानी है। लेकिन आजतक किसी पास्टर या मुसलमानों को ऐसा करते नहीं देखा है। तो भला बताइए धर्मांतरण के असली गुनहगार कौन है....?
छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों और सभी नवयुवकों से मेरा बारंबार विनती है कि किसी भी पार्टी के नेता या मंत्रियों के जाल में या भ्रम में आकर किसी प्रकार की संगठन में भाग लेने से पहले उनकी पूरी जानकारी पहले ही रख लें। नहीं तो क्षेत्रीयवाद या जाति धर्म के नाम पर उलझाकर आपके बहुमूल्य समय के साथ साथ आपके घर मकान और आपके परिवार को दंगाइयों के द्वारा तोड़ दिया जाएगा और आपको कन्हा से और कौन किया इसका थोड़ा सा भी अहसास न हो पाएगा....!" काम किसी और का और नाम किसी और का क्यों हो जाता है साहब.....

क्या सच्चाई बोलना हमारे देश में गुनाह है। या किसी प्रकार का असंवैधानिक कार्य या असामाजिकता कार्य कोई बता दे कि क्या लोगों के बीच इन घोटालों को सामने लाना गुनाह है...? अगर गुनाह है तो बताए की कोनसा गुनाह किया है, पुलिस fir लिखने से मना कर देता है या फिर गोल गोल घुमाकर वापस समय वेस्ट कर देगा लेकिन सच मामला कोर्ट तक नहीं जाने देगा। क्योंकि उनको पता है की उनकी रिश्वत खोरी करके पहले से ही गलती कर चुके हैं। कोर्ट में कहीं पोल ना खुल जाए, मामला पिनकापार चौकी का है। आज भी घोटाले के चलते fir नहीं हो पाया है। कारण बताने से पीछे हट जा रहे है, एक और बात बता दूं जितने भी ये घोटाले हुए हैं इसमें किसी अधिकारी या कर्मचारी का हाथ नहीं है इसमें दंगाइयों का बड़ा साथ है किसी राजनीतिक पार्टी का ही हाथ है अन्यथा , काल रिकॉर्डिंग आज भी हमारे पास मौजूद है लेकिन कोई कुछ करने को तैयार नहीं। मेरा एक ही सवाल है चौकी प्रभारी पिनकापार से क्या आपके पास कोई प्रूफ है की मैं क्रिश्चन हूं...?और अगर मैं क्रिश्चन हूं तो डॉक्यूमेंट प्रूफ करे और नहीं तो मेरे घर से जो मैटेरियल चोरी हुआ है उसका रिपोर्ट लिखने की कष्ट करें, या फिर इतना नहीं कर सकते तो तुरंत पुलिस पद से इस्तीफा दे।
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